प्राइवेट ब्राउज़िंग जरूरी हैं ऑनलाइन प्राइवेसी के लिहाज से। 

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प्राइवेट ब्राउज़िंग जरूरी हैं ऑनलाइन प्राइवेसी के लिहाज से। 

प्राइवेट ब्राउज़िंग क्यों अपनाएं?

प्राइवेट ब्राउज़िंग (Private Browsing) एक ऐसा मोड है जो ब्राउज़र द्वारा आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को स्थायी रूप से सेव नहीं होने देता। यह खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपनी ऑनलाइन प्राइवेसी बनाए रखना चाहते हैं, या फिर पब्लिक डिवाइसेज़ पर इंटरनेट एक्सेस करते हैं।

यहां प्राइवेट ब्राउज़िंग के कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:

1. ब्राउज़िंग हिस्ट्री सेव नहीं होती

आप जिन वेबसाइटों को विजिट करते हैं, जो सर्च करते हैं, या जो फॉर्म भरते हैं—वो डेटा सेव नहीं होता। इससे आपकी संवेदनशील जानकारी निजी बनी रहती है।

2. कुकी ट्रैकिंग से बचाव

प्राइवेट मोड में वेबसाइट्स आपकी कुकीज़ सेव नहीं कर पातीं। इससे आपको बार-बार टारगेटेड एड्स नहीं दिखाई देते और आपका डेटा विज्ञापनदाताओं तक नहीं पहुंचता।

3. शेयर्ड डिवाइस पर सेफ्टी

अगर आप किसी और के कंप्यूटर या पब्लिक डिवाइस पर इंटरनेट चला रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करता है कि आपकी लॉगिन डिटेल्स, पासवर्ड या ऑटोफिल डेटा उस डिवाइस पर सेव न हों।

4. मूल्य हेरफेर से सुरक्षा

कुछ ई-कॉमर्स साइट्स आपकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री के आधार पर कीमतें बदल सकती हैं। प्राइवेट ब्राउज़िंग से यह हेरफेर कम हो सकता है।

5. ऑटोफिल डेटा नहीं सेव होता

आप जो भी सर्च या फॉर्म भरते हैं, वह भविष्य में ऑटोफिल सजेशन के रूप में सेव नहीं होता, जिससे आपकी गोपनीयता बनी रहती है।

6. टारगेटेड एड्स कम होते हैं

चूंकि आपकी गतिविधियों को ट्रैक नहीं किया जाता, इसलिए आपको कम टारगेटेड विज्ञापन दिखाई देते हैं।


ध्यान दें:

प्राइवेट ब्राउज़िंग पूरी तरह से गुमनामी (anonymous) नहीं देती।
आपका IP एड्रेस अभी भी वेबसाइट्स और इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) द्वारा ट्रैक किया जा सकता है।
इसलिए यदि आपको उच्च स्तरीय सुरक्षा चाहिए, तो VPN (Virtual Private Network) या Tor Browser का इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा।